Meri beti mil gai - 1 in Hindi Moral Stories by S Sinha books and stories PDF | मेरी बेटी मिल गयी - 1

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मेरी बेटी मिल गयी - 1

Part - 1

रागिनी की नासमझी से विवाह के पहले ही वह प्रेग्नेंट हो गयी थी पर उसकी माँ को जैसे ही पता चला उसने रागिनी का कॉलेज जाना बंद कर दिया  ….

रागिनी को बार बार मिचली आ रही थी, वह कुछ समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है. उसने कोई बाहर का खाना पीना नहीं किया था. वह बार बार वाश बेसिन की ओर जा रही थी कि कहीं उल्टी न हो जाए. उस दिन गर्मी का एक दोपहर था. रागिनी का कॉलेज बंद था, अभी वह फर्स्ट ईयर में थी. उसकी माँ उषा आराम कर रही थी. उसे झपकी आ रही थी पर कुछ आहट सुन कर उसने पूछा “ रागिनी, क्या हो रहा है ? “

“ कुछ नहीं मम्मी. बहुत गर्मी है न इसलिए ऐसे ही कुछ मिचली लग रही थी, अब ठीक लग रहा है. “

“ मैंने तुम्हें कहा था न, इस मौसम में बाहर का चाट वाट नहीं खाया करो और तुम्हें अपनी जीभ पर कंट्रोल ही नहीं है. “

“ मम्मी एक सप्ताह से कॉलेज बंद है, मैं बाहर गयी ही नहीं हूँ. चाट कहाँ से खाऊँगी. कुछ नहीं है, तुम आराम करो. “

रागिनी एक साधारण मिड्ल क्लास परिवार की सबसे बड़ी संतान थी. उस से छोटी एक बहन इंदु और उस से छोटा एक भाई अनुज.इंदु अभी नौवीं कक्षा में थी और अनुज पांचवीं में. उसके पिता बिहारी लाल किसी प्राइवेट कम्पनी में क्लर्क थे. घर का गुजारा किसी तरह चल रहा था. गनीमत थी कि पैतृक सम्पत्ति के बँटवारे के बाद उनके हिस्से दो कमरे का एक घर मिला था. आमदनी का और कोई जरिया नहीं था. वे साइकिल से दफ्तर आया जाया करते थे.

एक सप्ताह के बाद अचानक रागिनी की माँ को पुलिस का फोन आया. दरोगा बोला “ आप उषा देवी बोल रही हैं, बिहारी लाल की पत्नी ? “

“ हाँ, आप कौन ? “

“ मैं सिटी थाने का दरोगा बोल रहा हूँ. आपके पति की साइकिल को एक ट्रक ने टक्कर मार दी और वे सदर अस्पताल में हैं. काफी सीरियस कंडीशन है, आप जल्द से जल्द यहाँ आ जाएँ. “

उषा अपनी बेटी रागिनी के साथ कुछ ही देर में अस्पताल पहुँची पर उनके पहुँचने के पहले बिहारी लाला दम तोड़ चुके थे. दोनों माँ बेटी का रोते रोते बुरा हाल था. उनके आसपास कोई अपना सांत्वना देने वाला भी नहीं था. रागिनी ने अपने को संभालने की पूरी कोशिश की और उसने अपने पिता के ऑफिस में फोन कर इस दुर्घटना की सूचना दी. कम्पनी का मालिक किशोर भला इंसान था. वह अभी जवान ही था और अपने पिता की मौत के बाद उसने कम्पनी की बागडोर संभाली थी. थोड़ी ही देर में किशोर अपने कुछ स्टाफ के साथ अस्पताल पहुँचा. अपनी कार से उषाजी को घर भेजवाया और फिर रागिनी से बोला “ रागिनी, हमलोगों को भी बिहारी लाल जैसे कर्मचारी को खोने का बहुत दुःख है. तुम्हें अब हिम्मत से काम लेना होगा. होनी को कोई टाल नहीं सकता है. तुम्हारे पापा बहुत नेक इंसान थे. उनकी ईमानदारी कम्पनी में एक मिसाल है. “

रागिनी की आँखों से आँसू अभी भी अविरल गिर रहे थे. वह चुपचाप सुन रही थी, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि कुछ ही पल में क्या हो गया और अब आगे क्या किया जाए. तभी किशोर ने कहा “ रागिनी, हम लोग हैं न. कम्पनी के लोग बिहारी लाल की अंतिम बिदाई की तैयारी कर रहे हैं.”

बिहारी लाल के छोटे बेटे अनुज ने पिता को मुखाग्नि दी. उनकी तेरहवीं में रागिनी के चाचा और मामा भी आये थे. सभी रस्म पूरी होने के बाद अब घर में रागिनी, उसकी माँ और दो छोटे भाई बहन रह गए. उनके सामने अब मुसीबतों का पहाड़ सामने खड़ा था. गुजारा कैसे हो, यह एक समस्या थी. कम्पनी के यूनियन की तरफ से बिहारी लाल के बदले उनके परिवार के सदस्य को नौकरी देने का आवेदन कम्पनी को दिया गया. मालिक किशोर को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी. नियमतः सर्वप्रथम नौकरी का अधिकार उनकी पत्नी को मिलता था. उषा बस मिड्ल तक पढ़ीं थीं और रागिनी अभी इंटर में थी. उषा ने फैसला किया कि रागिनी अभी आगे पढ़ेगी. कम्पनी की तरफ से दफ्तर जाने समय दुर्घटना में हुई मृत्यु के चलते उन्हें कुछ राशि मुआवजा में मिली और कुछ रूपये इंश्योरेंस से भी मिले. उषा की पढ़ाई न के बराबर थी, इसलिए उन्हें प्यून की नौकरी से संतोष करना पड़ा. उनकी गृहस्थी की गाड़ी किसी तरह चल पड़ी थी.

गर्मियों की छुट्टी अब खत्म होने की थी. रागिनी को एक दो बार उल्टी करते देख उसकी माँ को कुछ शक हुआ तो वह पूछ बैठी “ क्या हुआ ? तबियत ठीक है न ? “

“ हाँ, मम्मी. इधर पापा के देहांत के बाद बार बार बाहर दौड़ धूप करना पड़ा था तो भूख लगने पर होटल में कुछ खा लेती थी. शायद इसी कारण ऐसा हुआ होगा. “  कहने को तो रागिनी ने कह डाला पर उसके मन में अब भय समा गया. वह दो महीनों से पीरियड मिस कर रही थी.

कॉलेज में रागिनी को अपने कॉलेज के एक सीनियर लड़के सुरेश से प्यार हो गया था. दोनों एक ही बस में कॉलेज आते जाते थे और कॉलेज कैंटीन में एक साथ नाश्ता या कभी खाना खाते. देखते देखते दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे. सुरेश की बहन की शादी थी, उसने रागिनी को विशेष रूप से बुलाया था. रागिनी दो दिन के लिए निकट की बस्ती में गयी थी. सुरेश के पापा वहीँ रहते थे,  शादी वहीँ से हो रही थी. उसकी बहन को उन दोनों के प्यार की जानकारी थी. शादी के समय बहन ने रागिनी से कहा “ मुझे पता है तुम मेरी होने वाली भाभी हो. भैया ने मुझसे कहा था कि ग्रेजुएशन के बाद कोई न कोई नौकरी मिल ही जाएगी और तब वे तुमसे शादी करेंगे. “

रागिनी ने शरम से सर झुका लिया था. बहन ने आगे कहा “ मेरी मम्मी तो बचपन में गुजर गयी थी. जहाँ तक मुझे पता है तुम दोनों की शादी में हमलोगों की तरफ से कोई दिक्कत नहीं होगी. “

रागिनी को वो पल याद आया. गर्मी का दिन था. सुरेश की बहन की बिदाई के बाद लगभग सभी लोग चले गए थे, जो एक दो बचे थे वे ऊपर छत पर सोने चले गए. जिन्हें जहाँ भी थोड़ी जगह मिली थके होने के कारण गहरी निंद्रा में सो गए.सुरेश की मौसी अपनी बेटी के साथ आयी थीं, उन्होंने सुरेश से कहा “ बबुआ अब तुम भी सो जाओ, थके होंगे. “

“ हाँ मौसी,थोड़ी देर में मैं रागिनी को घर छोड़ कर आता हूँ तब ऊपर सोने जाऊँगा. आप लोग नीचे के कमरे में सो जाएँ. “

नीचे सुरेश की मौसी और मौसेरी बहन एक कमरे में सो रहे थे.

तभी रागिनी ने सुरेश से कहा “ तुमने मेरे बारे में अपनी बहन को अभी से क्यों बता रखा है ? उसने मुझे कहा मैं उसकी होने वाली भाभी हूँ. “

“ तो क्या हुआ ? उसने कुछ गलत नहीं कहा. “ इतना कह कर उसने रागिनी को अपने निकट खींच लिया.

उस कमरे में बस यही दोनों प्रेमी थे. कुछ पल के लिए दोनों कमजोर पड़ गए और दोनों ने अपना संयम हो दिया. इसी पल का परिणाम आज रागिनी के गर्भ में वर्तमान था.

कॉलेज खुलने के बाद रागिनी ने अपनी परेशानी सुरेश को बताई. वह बोला “ बस कुछ ही महीनों में मेरा ग्रेजुएशन पूरा हो रहा है. मैंने कुछ जगहों पर नौकरी के लिए टेस्ट भी दिया है. बस फाइनल रिजल्ट का इंतजार है. उसके बाद मैं अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊँगा और तब हम शादी कर लेंगे. “

“ तब तक बहुत देर हो जाएगी. तुम्हीं बताओ हम क्या करें ? “

“ एबॉर्शन करा लो. “

“ यह भी इतना आसान नहीं है, तुम इसकी जिम्मेवारी लेते हो ? इसके लिए किसी डॉक्टर को तैयार कर सकते हो ? “

“ फिलहाल कोई ऐसा जान पहचान वाला नहीं है पर कोशिश करूँगा. तुम घबराओ नहीं. “

“ तुमने तो आसानी से कह दिया घबराओ नहीं पर कैसे नहीं घबराएं ? लड़की के लिए यह कितना कठिन वक़्त है तुम शायद समझ नहीं रहे हो. घर में मम्मी को पता चलेगा तो वह न जाने क्या कर लेगी और मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रह जाऊँगी. फिर एक ही रास्ता मेरे लिए बच जाता है, आत्महत्या. क्या तुम यही चाहते हो ? “

“ यह क्या बकवास कर रही हो ? तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो ? “

रागिनी माँ से अपनी प्रेग्नेंसी की बात ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं सकी. जल्द ही उषाजी को रागिनी के बारे में पता चल गया. उसकी मम्मी ने बेटी के बालों को पकड़ कर उसे जोरदार तमाचे लगाए और कहा “कुल्टा, इसी दिन को देखने के लये तुम्हें जन्म दिया था. बाप पूरे परिवार को छोड़ कर चला गया उसका तुम्हें दुःख नहीं है. तू रंगरेलियाँ मनाती फिर रही है. छिः जा डूब मर चुल्लू भर पानी में. कॉलेज में जाते के साथ तेरे कदम बहक गए. बोल किसका पाप है ये. “  और रागिनी को जी भर कोसने लगी. फिर उसे कमरे में बंद करते हुए कहा “ कल से तेरा कॉलेज जाना बंद. यहीं मर तू. “

क्रमशः

 

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